DSR: पूरे देश में बड़े पैमाने पर धान की खेती की जाती है. इसमें 50 फीसदी खेती वर्षा आधारित क्षेत्रों में की जाती है. बारिश न होने की स्थिति में किसानों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. किसान धान की सिंचाई के लिए नहर या बोरवेल पर निर्भर रहते हैं. दूसरी ओर, इन दिनों कृषि मजदूरों का खेती की अपेक्षा उद्योग-धंधे और अन्य काम में ज्यादा संलिप्ता होने के कारण धान की परंपरागत खेती ने बढ़ती लागत एक बड़ी समस्या बनती जा रही है. ऐसे में धान की सीधी बुवाई किसानों के लिए एक बेहतर विकल्प बनती जा रही है.
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लागत में आती है कमी
इस विधि में धान की बुआई परंपरागत विधि की अपेक्षा कम श्रम और कम लागत की जरूरत पड़ती है. डायरेक्ट सीडिंग ऑफ राइस (DSR) तकनीक, कदवा लगाने की जरूरत नहीं होना और सिंचाई की कम जरूरत पड़ने की वजह से लागत में कमी आती है.
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DSR तकनीक क्या है?
डीएसआर तकनीक यानी डारेक्ट सीडिंग ऑफ राइस या प्रत्यक्ष धान रोपण तकनीक जो धान की सीधी बुआई करती है. यह बीजों को रोपाई के बजाय सीधे खेत में बोया जाता है. बीजों को मिट्टी में खोदने के लिए ट्रैक्टर से चलने वाली जीरो टिलेज मशीन का उपयोग इसके लिए किया जाता है.
डीएसआर तकनीक के तहत धान रोपी ड्रिल मशीन की मदद से खेत में जमीन के अंदर डाल देता है और साथ-साथ खरपतवार नाशक का छिड़काव किया जाता है. DSR पद्धति ना केवल पानी की बचत करती है बल्कि श्रमिकों की कमी का भी समाधान करता है. यह वास्तव में पर्यावरण हितैषी तकनीक है जिसमें कम पानी, थोड़ी सी मेहनत और कम पूंजी में धान की फसल से अच्छी उपज और कमाई की जा सकती है.
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सीधी बिजाई के फायदे
पौधे उगाने, कद्दू करने (पाड़े काटने), जमीन में रिसाव व सतह पर बहाव के रूप में लगने वाले पानी की बचत. फसल का शीघ्र पकाव (7-10 दिन) धान की पराली के समय पर प्रबंधन में मदद करता है. मिट्टी की संरचना ठीक रहती है, क्योंकि रोपाई वाली धान में कद्दू की वजह से जमीन में जो कठोर परत बनती है, उससे यह विधि बचाव करती है.
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